महाराष्ट्र में बीजेपी की नई चाल

मुंबई: महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण की सुगबुगाहट दिख रही है। राज्य में शिवसेना और भाजपा का साथ छूटने के बाद राज्य के दो सियासी नेताओं की मुलाकात सियासी नजरिये से काफी अहम माना जा रहा है। शिवसेना के दांव के कारण सीएम पद से हाथ धोने वाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे के साथ मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों पर लंबी बातचीत की है।


फडणवीस की राज ठाकरे से मुकाकात


दोनों नेताओं की गुपचुप मुलाकात के बाद राज्य में नए समीकरण बनने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक सूबे के इन दोनों कद्दावर नेताओं की यह मुलाकात मुंबई के लोअर परेल की इंडिया बुल्स इमारत में हुई। दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों पर एक घंटे तक बातचीत चली। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में राज्य की वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई।महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद सीएम पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच कई दिनों तक खींचतान चली और आखिरकार शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी की मदद से सरकार बनाकर फडणवीस को सत्ता से दूर कर दिया। इसके पहले भाजपा का एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर बहुमत पाने का प्रयास विफल हो गया क्योंकि पवार अपने साथ समर्थक विधायकों को नहीं जोड़ सके। बाद में पवार ने फिर पाला बदल लिया और शिवसेना सरकार में डिप्टी सीएम बनने में कामयाब हो गए।


भाजपा को नए राजनीतिक साथी की तलाश


शिवसेना से झटका खाने के बाद भाजपा को राज्य में एक नए राजनीतिक साथी की तलाश है। भाजपा को पता है कि उसकी कांग्रेस और एनसीपी के साथ दोस्ती नहीं हो सकती और शिवसेना उसे झटका ही दे चुकी है। ऐसे में उसकी नजर अब राज ठाकरे से दोस्ती करने पर है। माना जा रहा है कि इसी को ध्यान में रखकर फडणवीस ने राज ठाकरे से मुलाकात की है और उनके साथ समीकरण बनाने पर चर्चा की है।


राज्य सरकार से खुश नहीं राज ठाकरे


महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने पर हाल में पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी थी। राज ठाकरे ने कहा था कि यह महाराष्ट्र की जनता का अनादर है। राज ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना का एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाना सही नहीं है। वैसे यह भी सच्चाई है कि राज ठाकरे अब राज्य में बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं रह गए हैं। राज्य में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी एमएनएस को सिर्फ एक सीट पर विजय हासिल हुई थी। बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी। वहीं शिवसेना को 54 सीटें जीत मिली थी। एनसीपी के खाते में 56 सीटें जबकि कांग्रेस 44 सीटें हासिल कर चौथे स्थान पर रही थी।


मनसे का सम्मेलन जल्द


23 जनवरी को मुंबई में मनसे का सम्मेलन होने वाला है और उससे पहले यह भेंट अहम मानी जा रही है। सूत्रों की मानें तो शिवसेना के कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिलाने के बाद भाजपा राज्य में अपने हिंदुत्व के मुद्दे को धारदार बनाए रखने के लिए मनसे को अपने साथ लेने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक मनसे अपने सम्मलेन में अपना झंडा बदलने का भी ऐलान करने वाली है। अब मनसे का झंडा पूरी तरह केसरिया होगा और उस पर छत्रपति शिवाजी महाराज की तस्वीर बनी होगी।


मोदी पर क्या होगा रुख


सियासी जानकारों के अनुसार अगर भाजपा-मनसे दोनों एक साथ आते हैं तो यह देखना रोचक होगा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले राज ठाकरे द्वारा पीएम मोदी पर किए हमलों पर भाजपा क्या कहेगी और राज ठाकरे भी मोदी को लेकर क्या नया रुख अपनाते हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान वे मोदी पर तीखे हमले करते रहे हैं। बदले हालात उनका नया रुख देखने वाला होगा।