अभिमान सम सत्संग के माध्यम से ही त्याग सकते हैं- स्वामी शांति स्वरूपानंद जी

उज्जैन। इन दिनों चार धाम मन्दिर मथुरा वृन्दवन जैसा  दिखाई दे रहा है जहां108 पंडितों द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का पाठ किया जा रहा हैं, वहीं संगीतमय भागवत कथा के आरम्भ में भगवान् श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया गया, कथा के अन्तिम पढ़ाव पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का कथा श्रवण  कर रहे भक्त भी बेसब्री से श्रीकृष्ण जन्म का इन्तजार कर रहे थे।


जैसे ही वसुदेव जी बाल स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण को टोकरी में लेकर आए, भक्तों ने पुष्प वर्षा  की ओर भगवान की एक झलक पाने को लालायित दिखाई दिये। स्वामी जी ने भी बधाई के सुमधुर भजन श्रवण कराकर भक्तों को मन्त्र मुग्ध कर दिया। कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के पूर्व स्वामी जी ने कहा कि, सनातन धर्म में, पूर्वजन्म को स्थान दिया गया है।  स्वामी जी ने कहा अभिमान कभी भी हो जाता है, जिससे बचना नितांत आवश्यक है, कभी कभी तो भजन भी अभिमान बढ़ा देता है, भक्ति का भी अभिमान हो जाता है, यही अभिमान सम सत्संग के माध्यम से त्याग सकते हैं। 6 फरवरी को भगवान् श्रीकृष्ण की बाललीलाओं के साथ ही भगवान् को 56 पकवानों का भोग लगाया जाएगा। उक्त जानकारी प. रामलखन शर्मा द्वारा दी गई।