भाजपा और सिंधिया को प्रदेश में बड़ा झटका पूर्व मंत्री कांग्रेस में शामिल

 


प्रदेश/ दिशा सूचक।


देश में जहां कोरोना हर रोज एक नया रिकॉर्ड बनाने के साथ आम जनता और पूर्णा से लड़ रहे हैं विभिन्न राज्यों की सरकारों को झटका दे रहा है उसी तरह तालाबंदी 5 में सरकार ने जैसे ही अनलॉक वन जारी किया वैसे ही अब प्रदेश में भी राजनीतिक गलियारे में पार्टियां एक दूसरे को झटके देने का काम कर रही है इसी के चलते इस बार बारी कांग्रेस की थी जिसने भाजपा और ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला ने भाजपा छोड़कर एक बार फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। शुक्ला भी भाजपा में  अनदेखी से नाराज थे। इसलिए उन्होंने घर वापसी का फैसला किया।


पूर्व मंत्री की कांग्रेस में वापसी भाजपा और सिंधिया दोनों के लिए बड़ा झटका है। शुक्ला ग्वालियर चंबल में ब्राह्मणों का चेहरा हैं और स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बचपन के मित्र रहे। वह अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा और दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में 13 साल तक मंत्री रहे।उनके साथ 2018 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से मेहगांव से चुनाव लड़े सुरेश सिंह ने भी कांग्रेस की सदस्यता ले ली। दोनों नेता पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए।


बताया जा रहा है कि वह ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। बालेंदु शुक्ला ग्वालियर जिले से विधायक रहे हैं। वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद कुछ समय के लिए उन्होंने बीएसपी का दामन भी थामा था। शुक्ला भाजपा में अपनी अनदेखी के कारण नाराजगी जता चुके थे।बालेंदु शुक्ला ने सन 1980 से 2003 के बीच कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़ा। इस दौरान उन्होंने तीन चुनाव में जीत हासिल की और तीन में हार का सामना करना पड़ा।उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर साल 2003 में आखिरी बार ग्वालियर विधानसभा सीट से भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें करारी हार मिली थी।