शिक्षा सिर्फ डिग्री नहीं देती विनयशील, अनुशासन, स्वावलंबी बनाती है : प्रो.अखिलेश कुमार पांडे


उज्जैन। बाबा साहब आम्बेडकर की जयंती पर हम भारतवासी सम्मानित हुए हैं। पूरा विश्व बाबा साहब की जयंती पर गौरवांवित है। बाबा साहब की शिक्षा, स्वतंत्रता के उस दर्शन की ओर इंगित करती है जो परिवार, समाज, राष्ट्र के निर्माण में सहयोग करती है। बाबा साहब स्वतंत्रता के पक्ष में थे, स्वच्छंदता के नहीं। उनका मानना था कि मनुष्य के हर प्रकार के विकास के लिए शिक्षा एक आधारभूत जरूरत होती है। इसलिए उन्होंने “शिक्षित बनो” का विचार दिया था। उसका मतलब डिग्री प्राप्त करना ही नहीं था बल्कि आत्म अनुशासन, सहनशीलता, स्वावलंबन और सामाजिक समरसता में दीक्षित होना है। तभी शिक्षा और दीक्षा का पाठ पूरा होगा। बाबा साहब के अनुसार शिक्षा का अर्थ केवल किताबी ज्ञान तक सीमित होना नहीं था, बल्कि मनुष्यता की प्रगति की कसौटी पर खरा उतरना है। आज के युवाओं को आज का दिवस “संकल्प दिवस” के रूप में मनाने की आवश्यकता है। डिग्री के साथ एक स्वस्थ समझदारी की भी आवश्यकता है।

उक्त विचार कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने विक्रम विश्वविद्यालय की डा. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित बाबा साहेब 131वीं जयंती पर शासकीय पोस्ट मैट्रिक छात्रावास में आयोजित ‘डा. अम्बेडकर स्मृति व्याख्यानमाला ’ में कही।
“बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का समग्र दर्शन ” विषय पर कुलपति प्रो.पांडेय ने कहा कि महापुरुषों की जीवनियां हमें प्रेरित करती है, हमारा मार्गदर्शन करती है। असफलता में पथ प्रदर्शन करती है। बाबा साहेब ने घोर विषम परिस्थितियों में कड़े संघर्ष के बाद अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। आज के युवाओं को अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा। अपने आप मंजिल और सफलता दिखाई देने लगेगी। बाबा साहेब ने ऐसा कोई भी विचार नहीं है जिस पर सकारात्मक समाधान उन्होंने न सुझाया हो। आज भारत में पर्यावरण, जल का गंभीर संकट है। कहा जा सकता है तृतीय विश्व युद्ध हुआ तो वह जल के लिए ही होगा। बाबा साहब ने नदी जल, बाढ़ जल के प्रबंधन को संरक्षण को संरक्षित सुरक्षित करने के लिए समाधान सुझाव दिए हैं। आज के युवाओं पानी संरक्षण प्रकृति संरक्षण, जल प्रबंधन पौधारोपण और अंकुर अभियान जैसे ज्वलंत और गंभीर विषयों पर विचार करना होगा। तभी भविष्य का परिवार, समाज, राष्ट्र न सिर्फ सुरक्षित होगा बल्कि प्रगति करेगा।
“डा.अम्बेडकर स्मृति व्याख्यान माला ” के मुख्य अतिथि वक्ता डा.अम्बेडकर स्मृति सम्मान से सम्मानित सामाजिक कार्य क्षेत्र का स्थापित प्रतिष्ठित नाम है। मुकेश टटवाल ने कहा बाबा साहेब डा.अम्बेडकर की जयंती भारत ही नहीं पूरा विश्व मना रहा है। मार्टिन लूथर किंग की तरह बाबा साहेब एक विश्व मानव है। बाबा साहेब निर्भय क्रांतिवीर थे। उनकी व्यथा अपार थी। इसके बावजूद उन्होंने कहा अपने सत्य को अपने अस्तित्व को पूरी शक्ति से समाज के सामने रखने की में प्रेरणा दूंगा। बाबा साहेब का यह भाव ही उनका समग्र चिंतन है। बाबा साहेब द्वारा किए गए प्रत्येक क्षेत्र के कार्य चाहे वह सामाजिक हो आर्थिक हो राजनैतिक हो शैक्षणिक हो धार्मिक, औद्योगिक, पर्यावरण, संवैधानिक क्षेत्र हो, हम भारतवासी सदैव उनके ऋणी रहेंगे। उनके अनगिनत कार्यों ने राष्ट्र निर्माण में अविस्मरणीय योगदान दिया है। आज आवश्यकता है उनके आदर्श विचार सिद्धांतों से समाज को अवगत कराने उन्हें व्यवहार में लाने की। बाबा साहेब के जीवन की प्रत्येक सांस समाजोत्थान, व्यक्ति उत्थान के लिए चली है। उन्होंने कहा कोई भी जन्मजात बुद्धिमान नहीं होता, कुशाग्र बुद्धि की खुराक शिक्षा है। शिक्षा ही समाज में परिवर्तन ला सकती है।बाबा साहेब मानते थे जीवन में कठिनाईयों से मुक्ति का अगर कोई रास्ता है तो वह शिक्षा है। जीवन में अगर संघर्ष का अवसर आया है तो संघर्ष से विजयी होकर निकलने का रास्ता भी शिक्षा ही है। बाबा साहेब ने अपने तीन देवता बताए पहला- विद्या, दूसरा- स्वाभिमान, तीसरा –शील है। पूरे जीवन बाबा साहेब ने इनकी पूजा की और आज वे भारत रत्न हैं।आज आवश्यकता बाबा साहेब के जीवन को जानने का, पढ़ने का, अभ्यास, अध्ययन करने का मनन चिंतन करने का संकल्प करने का। महामानव ने हमको जीवन जीने की नई दिशाएं संघर्ष से लड़ने का जो हमें जीवन जीने की प्रेरणा तो देता ही है। हमारे परिवार, समाज, राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए अग्रसर करता है।
इस अवसर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में विशाल जाधव, अनिल बामनिया, मनोज मालवीय विजयी रहे। इन्हें क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुए। स्वागत भाषण व विषय की पीठिका रखते हुए डा. अम्बेडकर पीठ के प्रभारी आचार्य डा. एस.के. मिश्रा ने कहा कि डा. अम्बेडकर व्यक्ति नहीं विचार है। उनकी प्रेरणा ही हमारे देश समाज को जोड़ती है। वे अग्रणी समाज सुधारक श्रेष्ठ विचारक तत्व चिंतक सामाजिक समता और बंधुता के आधार एक स्वस्थ प्रगतिशील भारत के निर्माणकर्ता थे।
कार्यक्रम का संयोजन, संचालन शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया। आभार शासकीय संभागीय पोस्ट मैट्रिक छात्रावास के अधीक्षक डा.गिरधर मालवीय ने व्यक्त किया।अधीक्षक मुकेश यादव अतिथियों का स्वागत किया। छात्रों अंकुर टिटवानिया, रणधीर सिंह चौहान का विशेष सहयोग रहा।