उज्जैन। बाबा साहब आम्बेडकर की जयंती पर हम भारतवासी सम्मानित हुए हैं। पूरा विश्व बाबा साहब की जयंती पर गौरवांवित है। बाबा साहब की शिक्षा, स्वतंत्रता के उस दर्शन की ओर इंगित करती है जो परिवार, समाज, राष्ट्र के निर्माण में सहयोग करती है। बाबा साहब स्वतंत्रता के पक्ष में थे, स्वच्छंदता के नहीं। उनका मानना था कि मनुष्य के हर प्रकार के विकास के लिए शिक्षा एक आधारभूत जरूरत होती है। इसलिए उन्होंने “शिक्षित बनो” का विचार दिया था। उसका मतलब डिग्री प्राप्त करना ही नहीं था बल्कि आत्म अनुशासन, सहनशीलता, स्वावलंबन और सामाजिक समरसता में दीक्षित होना है। तभी शिक्षा और दीक्षा का पाठ पूरा होगा। बाबा साहब के अनुसार शिक्षा का अर्थ केवल किताबी ज्ञान तक सीमित होना नहीं था, बल्कि मनुष्यता की प्रगति की कसौटी पर खरा उतरना है। आज के युवाओं को आज का दिवस “संकल्प दिवस” के रूप में मनाने की आवश्यकता है। डिग्री के साथ एक स्वस्थ समझदारी की भी आवश्यकता है।
शिक्षा सिर्फ डिग्री नहीं देती विनयशील, अनुशासन, स्वावलंबी बनाती है : प्रो.अखिलेश कुमार पांडे
उज्जैन। बाबा साहब आम्बेडकर की जयंती पर हम भारतवासी सम्मानित हुए हैं। पूरा विश्व बाबा साहब की जयंती पर गौरवांवित है। बाबा साहब की शिक्षा, स्वतंत्रता के उस दर्शन की ओर इंगित करती है जो परिवार, समाज, राष्ट्र के निर्माण में सहयोग करती है। बाबा साहब स्वतंत्रता के पक्ष में थे, स्वच्छंदता के नहीं। उनका मानना था कि मनुष्य के हर प्रकार के विकास के लिए शिक्षा एक आधारभूत जरूरत होती है। इसलिए उन्होंने “शिक्षित बनो” का विचार दिया था। उसका मतलब डिग्री प्राप्त करना ही नहीं था बल्कि आत्म अनुशासन, सहनशीलता, स्वावलंबन और सामाजिक समरसता में दीक्षित होना है। तभी शिक्षा और दीक्षा का पाठ पूरा होगा। बाबा साहब के अनुसार शिक्षा का अर्थ केवल किताबी ज्ञान तक सीमित होना नहीं था, बल्कि मनुष्यता की प्रगति की कसौटी पर खरा उतरना है। आज के युवाओं को आज का दिवस “संकल्प दिवस” के रूप में मनाने की आवश्यकता है। डिग्री के साथ एक स्वस्थ समझदारी की भी आवश्यकता है।